अंबे माता की शोभायात्रा निकालकर श्रद्धालुओं ने यह क्या कर दिया..? - 50 करोड़ की कीमत से ज्यादा के गांजे के पौधे पकड़ लिए, राजस्थान ATS का यह कैसा रूप...?
उदयपुर/जयपुर। क्या आप सोच सकते हैं कि किसी शोभायात्रा में शामिल 100 से ज्यादा श्रद्धालु नशे की तस्करी का खेल उजागर कर सकते हैं। शायद नहीं, क्योंकि ऐसा पहले कभी हुआ ही नहीं लेकिन शुक्रवार 31 अक्टूबर को उदयपुर के आदिवासी इलाकों में जो हुआ, वो हैरान करने वाला है। 100 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने उदयपुर के जनजातीय क्षेत्र में दबिश देकर नशे की तस्करी का बड़ा खुलासा कर दिया। दरअसल ये श्रद्धालु नहीं बल्कि श्रद्धालुओं के भेष में पुलिस वाले थे। एंटी टेररिस्ट स्क्वाड और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की टीम ने नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड के साथ मिलकर गांजे की खेती के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। एडीजी दिनेश एमएन के निर्देशन में आईजी विकास कुमार की टीम ने इस पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया।
जयपुर से जयकारे लगाते हुए निकली पुलिस
अमूमन हम पुलिस को खाकी वर्दी में ही देखते हैं। जब कोई कार्रवाई को अंजाम दिया जाता है तो बड़ी संख्या में पुलिस की टीमें दबिश देती है लेकिन गांजे की खेती का खुलासा करने के लिए पुलिस ने वर्दी पहनने के बजाय श्रद्धालुओं का भेष धारण किया। अंबे माता की शोभा यात्रा निकाले जाने बहाने पुलिस की टीम जयपुर से रवाना हुई। वाहनों पर भगवा झंडे लगाए गए और गाड़ियों के आगे अंबे माता के पोस्टर लगाए गए। फिर अंबे माता के जयकारे लगाते हुए सौ से ज्यादा पुलिसवालों की टीम जयपुर से निकली।
श्रद्धालु समझकर लोगों ने की सेवा
गुरुवार को जयपुर से निकली पुलिस की टीम देर शाम को सिरोही जिले के पिंडवाड़ा तक पहुंची। एक फैक्ट्री में रात्रि विश्राम किया। वहां पर लोगों ने इन पुलिस वालों को श्रद्धालु समझकर सेवा की। पुलिस टीम को भोजन कराया। शुक्रवार सुबह श्रद्धालुओं के भेष में पुलिस टीम अपने वाहन लेकर आगे बढी और उदयपुर जिले के उन क्षेत्रों में पहुंची जहां गांजे की खेती होती थी। एटीएस के आईजी विकास कुमार बताते हैं कि जहां कार्रवाई करनी थी, उन स्थानों को पहले ही चिन्हित कर लिया था। उदयपुर के कउडा-मउडा, मांडवा,, निचली सुबही और उपलाथला क्षेत्र में दबिश देकर पुलिस की ने नशे की खेती का खुलासा किया।
50 बीघा में 8 हजार से ज्यादा पौधे मिले
आईजी विकास कुमार ने बताया कि इस कार्रवाई के लिए एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक घनश्याम सोनी के साथ मिलकर प्लानिंग की। बाद में श्रद्धालुओं के भेष में पुलिस टीम ने दबिश के दौरान पाया कि 50 से ज्यादा बीघा में गांजे की खेती की जा रही थी। गांजे के बड़े बड़े पौधे पुलिस टीम को मिले जो अगले कुछ दिनों में पूरी तरह पकने वाले थे। गांजे के पौधों की संख्या करीब 8 हजार से ज्यादा बताई जा रही है। एटीएस, एएनटीएफ, एसीबी की टीम ने स्थानीय पुलिस को साथ में लेकर कार्रवाई को अंजाम दिया।
दो महीने तक अलग अलग तरीकों से ढूंढी गई नशे की खेती
एटीएस की टीम ने नशे की खेती का पता लगाने के लिए दो महीने तक अथक प्रयास किया। पुलिस की टीमों को अलग अलग जिलों में रवाना किया गया। कभी बिजली विभाग के कर्मचारी बनकर बिजली के पोल लगाने के बहाने संदिग्ध इलाकों में टोह ली। कभी कृषि पर्यवेक्षक बनकर मिट्टी की जांच करने के बहाने टोह ली गई। कभी जलदाय विभाग के कर्मचारी बनकर पाइप लाइन बिछाने का सर्वे करने के बहाने नशे की खेती का पता लगाने का प्रयास किया गया। दो महीने के अथक प्रयास के बाद पुलिस ने कुछ क्षेत्रों को चिन्हित किया और फिर अंबे माता की शोभा यात्रा के बहाने इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
नए साल से पहले कई राज्यों में सप्लाई करने का प्लान ध्वस्त
एटीएस के आईजी विकास कुमार का कहना है कि नशे के सौदागर गांजे की तस्करी दिल्ली, पंजाब, गुजरात सहित अन्य राज्यों में करते हैं। नए साल से पहले यानी दिसंबर में नशे की बड़ी खेप पड़ोसी राज्यों में सप्लाई करने की तैयारी थी लेकिन पुलिस टीम ने तस्करों के इस प्लान पर पानी फेर दिया। उन्होंने बताया कि अगर कार्रवाई की भनक लग जाती तो तस्कर एक दो दिन में ही पूरी खेती को नष्ट कर सकते थे। इसलिए अचानक कार्रवाई करने के लिए पुलिस टीम ने श्रद्धालुओं का भेष धारण किया ताकि मौके पर पहुंचने तक किसी को पता ही नहीं चले कि कुछ कार्रवाई होने वाली है। पुलिस अब तस्करों का पता लगाने में जुटी है।
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