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देश भक्ति के जज्बे से लबरेज 'आजादी' नाटक का मंचन, परिष्कार कॉलेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस के 600 बच्चों ने एक साथ दी प्रस्तुति - स्वतत्रता आंदोलन की गौरव गाथा है 'आजादी', ब्रिटिश साम्राज्य के क्रूर आतंक से रूबरू कराती है यह प्रस्तुति

देश भक्ति के जज्बे से लबरेज 'आजादी' नाटक का मंचन, परिष्कार कॉलेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस के 600 बच्चों ने एक साथ दी प्रस्तुति

 


जयपुर। शिक्षाविद् डॉ. राघव प्रकाश द्वारा लिखित 'आजादी' नाटक का मंचन मंगलवार शाम को जयपुर के रविंद्र मंच पर किया गया। इस नाटक में परिष्कार कॉलेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस (ऑटोनोमस) के 600 विद्यार्थियों ने अभिनय किया। देश भक्ति के जज्बे से लबरेज इस नाट्य प्रस्तुति में कॉलेज के छात्र छात्राओं ने शानदार प्रस्तुति दी। स्वतंत्रता आंदोलन के लिए संघर्ष करने और देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वीर योद्धाओं के शौर्य को देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे। इस नाटक के लेखक डॉ. राघव प्रकाश ने बताया कि यह प्रस्तुति स्वतंत्रता, समता, सत्य, अहिंसा, सहयोग, धैर्य, क्षमा, राष्ट्रीयता, स्वावलंबन, विनय, संघर्ष और सकारात्मकता का संदेश देती है।

 

स्वतंत्रता आंदोलन की गौरव गाथा है 'आजादी'

 

यह नाटक अंग्रेजी हुकूमत के अधीन भारत के स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा चलाए गए आंदोलन की गौरव गाथा है। सन 1857 में जब बंगाल के बैरकपुर छावनी में मंगल पांडे ने सबसे पहले अंग्रजी हुकुमत के खिलाफ विद्रोह किया था। वहां से कहानी की शुरुआत होती है। बाद में मेरठ के विद्रोही सैनिकों के दिल्ली पहुंचने और दिल्ली को बहादुरशाह जफर को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के प्रसंग को चित्रित किया गया। इस प्रस्तुति में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन और भारत छोड़ो आंदोलनों के दौरान किए संघर्ष को विस्तार से बताया गया है।

 

जलियांवाला बाग हत्याकांड का दृश्य विचलित करने वाला

 

अमृतसर में अंग्रेजों द्वारा जलियांवाला बाग नरसंहार का दृश्य विचलित करने वाला था। परिष्कार कॉलेज के स्टूडेंट्स ने अंग्रेजी सैनिकों की क्रूरता और उनके द्वारा किए गए हत्याकांड की शानदार प्रस्तुति दी। नाटक के इस दृश्य ने ब्रिटिश साम्राज्य के क्रूर चेहरे को दुनिया के सामने रखा। नाटक में बताया गया कि अंग्रेजों ने भारतीयों पर खूब जुल्म किए। आजादी के रणबांकुरों को कठोर यातनाएं दी लेकिन हमारे देश के वीर सैनिक और योद्धाओं ने हार नहीं मानी। अंत तक मुकाबला करके देश को आजाद कराया। नाटक में 1857 की क्रांति से लेकर 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न प्रसंगों का मंचन किया गया।

 

13 साल से लगातार मंचन

 

आजादी की शौर्य गाथा वाले इस नाटक का मंचन पिछले 13 साल से लगातार किया जा रहा है। स्कूली दिनों में जिन छात्रों ने कभी अभिनय में हिस्सा नहीं लिया। वे छात्र छात्राएं पहली बार इस नाटक में हिस्सा लेकर स्वयं को रोमांचित महसूस कर रहे थे। अलग अलग दृश्यों में अलग अलग छात्र छात्राओं ने अभिनय किया। ऐसे में कुल 600 छात्र छात्राओं ने अपनी अपनी भूमिका निभाई। इस दौरान बाबा आमटे दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देवस्वरूप मुख्य अतिथि के रूप में और राजस्थान विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार कालुराम मीणा विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कॉलेज की प्राचार्य प्रो. सविता पाईवाल सहित कॉलेज का पूरा स्टाफ और कई छात्र छात्राओं के अभिभावकों भी मौजूद रहे।

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