चंद्रयान 3 के सफर में 17 अगस्त को मिली थी बड़ी कामयाबी, जानिए 23 अगस्त की तारीख ही क्यों चुनी गई लैंडिंग के लिए - भारत को तीसरे प्रयास में मिली कामयाबी, चंद्रयान 1, चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 के बारे यहां पढें
जयपुर। चंद्रयान-3 मिशन ने 17 अगस्त को एक बड़ी कामयाबी हासिल की थी। जब रोवर से लैस लैंडर मॉड्यूल यान के प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया, जिसमें एसएचएपीई पेलोड मौजूद है। एसएचएपीई पेलोड एक रेडियो फ्रीक्वेंसी स्रोत द्वारा संचालित एकॉस्टो- ऑप्टिक ट्यूनेबल फिल्टर आधारित तत्व को नियोजित करता है और इसमें इंडियम गैलियम आर्सेनाइड (आईएनजीएएस) डिटेक्टरों की एक जोड़ी मौजूद होती है। भविष्य में परावर्तित प्रकाश में छोटे ग्रहों की खोज एसएचएपीई पेलोड का एक प्रमुख लक्ष्य होगा, जिससे इसरो को ऐसे एक्सो-प्लानेट के रहस्य खंगालने में मदद मिलेगी, जो जीवन के पनपने या रहने योग्य हो सकते हैं।
लैंडिंग के लिए क्यों चुनी गई 23 अगस्त की तारीख
चंद्रयान-3 में लगा लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरने के बाद सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करेगा। इसके इक्विपमेंट्स के चार्ज रहने के लिए जरूरी है। हमारी पृथ्वी पर 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात होती है लेकिन चांद पर 14 दिन तक (भारतीय समय अनुसार) दिन और अगले 14 दिन तक रात रहती है। दिन में काफी गर्मी रहती है और रात में काफी ठंड होती है। इसलिए चंद्रयान ऐसे वक्त में चांद पर उतारा गया जब वहां 14 दिन सूरज की रोशनी रहने वाली है। 23 अगस्त से 5 सितंबर के बीच दक्षिणी ध्रुव पर धूप निकली रहेगी जिसकी मदद से चंद्रयान का रोवर चार्ज होता रहेगा और अपने मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे सकेगा।
3 चरणों में चांद पर पहुंचा भारत
भारत को चांद के इस पड़ाव को हासिल करने में 15 साल लग गए। इन 15 सालों में 3 चरणों में भारत ने इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कर लिया। आज भारत दुनिया का पहला देश है जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा है। यानी दक्षिणी ध्रुव वो जगह है, जहां आज तक दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच सका है।
जानिए चंद्रयान वन, टू और थ्री के बारे में
भारत का पहला चंद्र अभियान 22 अक्टूबर 2008 को शुरू हुआ ता। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पहले चंद्रयान ने उड़ान भरी थी। करीब एक दशक बाद 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान 2 ने उड़ान भरी थी। इस चंद्रयान 2 में एक ऑर्बिटर, लेंडर और रोवर शामिल था। इसका उद्देश्य ऑर्बिटर पर पेलोड द्वारा वैज्ञानिक अध्ययन और चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग तथा घूर्णन की प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना था । प्रक्षेपण, महत्वपूर्ण कक्षीय अभ्यास, लैंडर को अलग करना, 'डी- बूस्ट' और 'रफ ब्रेकिंग' चरण सहित प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के अधिकांश घटकों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। चांद पर पहुंचने के अंतिम चरण में रोवर के साथ लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसे चाँद की सतह पर उतरने का उसका मकसद सफल नहीं हो पाया। 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था। जो सफलतापूर्वक चांद पर पहुंच गया।
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