बीजेपी ने राजस्थान के दो नेताओं को फिर दी तवज्जो, डॉ. मीणा और पूनिया राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल - इससे पहले प्रदेश के तीन नेताओं को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ और तेलंगाना में बनाया चुनाव प्रभारी

जयपुर। भारतीय जनता पार्टी में राजस्थान के नेताओं का कद लगातार बढ़ रहा है। दो दिन पहले छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में राजस्थान के नेताओं को प्रभारी नियुक्त किया। अब शनिवार को प्रदेश के दो और नेताओं का कद बढाते हुए उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया। बीकानेर में पीएम मोदी की सभा के बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने 10 नेताओं को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति में सदस्य नियुक्त किया। इनमें राजस्थान के दो नेता शामिल हैं। पहले राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और दूसरे पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया।
पार्टी ने डॉ. मीणा को इसलिए दी तवज्जो
राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा पार्टी के वरिष्ठ नेता है। भ्रष्टाचार सहित अन्य मुद्दों पर कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा करने में डॉ. मीणा सबसे आगे रहते हैं। हर मुद्दे पर लोगों को राहत दिलाने के लिए वे धरना, प्रदर्शन करते हैं औ सरकार की पोल खोलते हैं। पिछले दिनों ऐसी चर्चाएं चल रही थी कि डॉ. मीणा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। हालांकि अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ लेकिन पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान देकर उनका कद बढ़ाया है।
पूनिया के स्थान पर जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाने से नाराज हुआ जाट समाज
सतीश पूनिया भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष हैं। पिछले दिनों सतीश पूनिया का 3 साल का कार्यकाल पूरा हो गया तो पार्टी ने पूनिया के स्थान पर सीपी जोशी को पार्टी का नया प्रदेशाध्यक्ष बनाया। पूनिया के स्थान पर जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाये जाने पर जाट समाज को काफी एतराज हुआ था। समाज के कई नेताओं ने यह कहकर विरोध किया कि चुनावी साल में पूनिया के हाथ से कमान छीनना समाज के साथ धोखा है। पार्टी के लिए साढ़े तीन साल तक जी जान से मेहनत करने वाले को चुनावी साल में कुर्सी से हटाकर उन्हें पार्टी से दरकिनार करने के आरोप लगे थे। बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय में जाट महासभा के पदाधिकारियों ने पुतला जलाकर विरोध प्रदर्शन भी किया था।
चुनावी साल में पूनिया का कद बढ़ाना भी था जरूरी
हालांकि पार्टी ने सतीश पूनिया को पार्टी ने उपनेता प्रतिपक्ष बना दिया था। प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर काम कर चुके नेता के लिए उपनेता प्रतिपक्ष का पद छोटा है। उनके ऊपर नेता प्रतिपक्ष का पद होता है जो राजेन्द्र राठौड़ के पास है। पार्टी में सतीश पूनिया का प्रमोशन के बजाय डिमोशन होने पर भी जाट समाज के लोग नाराज थे। पार्टी और समाज में पूनिया का कद बढाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने सतीश पूनिया को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया है। चुनावी लिहाज से बीजेपी ने मीणा और जाट दोनों समाजो साधने की कोशिश की है।
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