आपराधिक केस में बरी हुई लड़की का पुलिस में चयन निरस्त किया - तो हाईकोर्ट ने होम सेक्रेट्री और डीजी को जारी किए नोटिस, सीट रिजर्व रखने के आदेश
जयपुर। राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2021 में अलवर जिले की एक लड़की कविता बाई का सलेक्शन हुआ था। उसे सीआईडी-आईबी में नौकरी मिलनी थी लेकिन पुलिस वैरिफिकेशन के दौरान कविता के घर एक लेटर आया जिसमें उसे पुलिस कांस्टेबल के लिए अपात्र घोषित कर दिया गया था। लड़की के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होना बताकर उसे अयोग्य करार दिया गया। चूंकि लड़की 9 साल पहले ही आपराधिक केस में बरी हो चुकी थी। ऐसे में लड़की ने एडवोकेट सुरेश खिलेरी के मार्फत राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए होम सेक्रेट्री सहित तीन जनों को नोटिस जारी करके आदेश दिए हैं कि जब तक इस मामले का अंतिम फैसला नहीं हो जाता, तब तक कांस्टेबल का एक पद रिक्त रखा जाए।
एक चिट्ठी मिली और अपात्र घोषित कर दिया
यह मामला अलवर जिले के भिवाड़ी निवासी कविता बाई का है। राजस्थान हाईकोर्ट के एडवोकेट सुरेश खिलेरी ने बताया कि पुलिस कांस्टेबल भर्ती की लिखित परीक्षा का रिजल्ट अगस्त 2022 में आया था। जिसमें कविता बाई पास हो गई थी। शारीरिक दक्षता परीक्षण के बाद जब अंतिम चयन की मेरिट जारी हुई तो उसमें कविता का भी कांस्टेबल के पद पर चयन हो गया था। कांस्टेबल पद पर चयन होने के बाद कविता ने अपने शैक्षणिक दस्तावेज के साथ कविता के खिलाफ दर्ज हुए केस और उसमें हुए फैसले के बारे में जानकारी देते हुए शपथ पत्र पेश किया गया था। बाद में कविता के घर एक पत्र पहुंचता है जिसमें लिखा होता है कि वह पुलिस कांस्टेबल पद के लिए योग्य नहीं है। इस पत्र में लिखा था कि कविता के खिलाफ एक आपराधिक प्रकरण दर्ज हुआ था जिसकी वजह से वह इस पद के लिए पात्र नहीं है। चूंकि कविता उस मुकदमें में वह 9 साल पहले ही बरी हो चुकी थी। ऐसे में उसने एडवोकेट सुरेश खिलेरी के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट के जस्टिस सुदेश बंसल ने याचिका को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार के गृह सचिव, डीजी (भर्ती) और सीआईडी-आईबी के एसपी को नोटिस जारी करते हुए भर्ती में एक पद रिक्त रखे जाने के आदेश दिए।
सर्कुलर के नियमों के तहत अपात्र नहीं मान सकते
हाईकोर्ट में याचिका लगाने वाले एडवोकेट सुरेश खिलेरी का कहना है कि पुलिस मुख्यालय के भर्ती विभाग की ओर से किसी अभ्यर्थी को पात्र और अपात्र माने के संबंध में दो सर्कुलर हैं। उन सर्कुलर में दिए निर्देशों के अनुसार कविता बाई को अपात्र घोषित नहीं किया जा सकता। एडवोकेट सुरेश खिलेरी ने जस्टिस आलोक शर्मा द्वारा दिए गए तीन फैसलों का भी हवाला दिया जिनमें ऐसे प्रकरणों में अभ्यर्थियों को भर्ती के लिए पात्र माना गया था। खिलेरी ने हाईकोर्ट से आग्रह किया तो जस्टिस सुदेश बंसल ने इस याचिका को स्वीकार करके हुए होम सेक्रट्री सहित तीन को नोटिस जारी किए हैं। होम सेक्रेट्री और पुलिस मुख्यालय की ओर से जवाब आने के बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।
जानिए क्या था पूरा मामला
अलवर जिले के भिवाड़ी हुए एक झगड़े के दौरान वर्ष 2010 में दर्ज हुए एक मुकदमें में कविता बाई का भी नाम था। करीब साढे तीन साल तक यह प्रकरण चला और अप्रेल 2014 में कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए कविता को बरी कर दिया था। केस से बरी होने के बाद कविता पर कोई प्रकरण लंबित नहीं था। एडवोकेट सुरेश खिलेरी का कहना है कि हालांकि ऑनलाइन आवेदन करने के दौरान ईमित्र संचालक की लापरवाही की वजह से इस केस का जिक्र नहीं किया गया था लेकिन चयन के बाद पुलिस वेरिफिकेशन के साथ जब दस्तावेज जमा कराने थे। तब इस केस में हुए फैसले की प्रतिलिपि पेश कर दी गई थी। साथ में एक शपथ पत्र भी दे दिया गया था। एकडवोकेट खिलेरी का कहना है कि पुलिस मुख्यालय की भर्ती सेल द्वारा जारी सर्कुलर में साफ लिखा है कि ऑनलाइन आवेदन या चरित्र सत्यापन दोनों में से एक में केस का हवाला दिया जाना चाहिए। ऐसे में कविता बाई को नौकरी से वंचित करना न्याय संगत नहीं है।
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