'क्या एक पुरुष जज दूसरे पुरुष से और महिला जज दूसरी महिला से शादी करेंगे...?' - शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने SC के जजों पर टिप्पणी

जयपुर। सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह को मान्यता देनी है या नहीं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट के जजों की बैंच ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि समलैंगिक जोड़ों को कानूनी मान्यता के बिना ही शादी की अनुमति देने से क्या नुकसान है। हालांकि यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है लेकिन गोवर्धनमठ पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जजों पर गंभीर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि 'जिन न्यायाधीशों से यह निर्णय आने वाला है या आएगा, उनसे पूछना चाहिए कि आप नपुसंक होकर नपुंसक से शादी कर चुके हैं। आप पुरुष हैं तो पुरुष से शादी कर चुके हैं... या आप स्त्री हैं तो स्त्री से शादी कर चुके हैं..।'
सेम सेक्स मानवता के लिए कलंक, ये प्रकृति के खिलाफ है
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने सेम सेक्स शादी को मानवता के लिए कलंक करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह प्रकृति के खिलाफ है। शंकराचार्य ने कहा कि विवाह एक धार्मिक विषय है। इसमें न्यायालय को दखल नहीं देना चाहिए। शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती दो दिन के जयपुर प्रवास पर आए हुए हैं। गुरुवार 27 अप्रैल को मीडिया से बात करते हुए समलैंगिक विवाह यानी सेम सेक्स शादी को मानवता के लिए कलंक बताया। उन्होंने कहा कि इससे व्यभिचार को बढावा मिलेगा। समलैंगिकता से पशुता की भावना आएगी।
दो दिन के जयपुर प्रवास पर हैं शंकराचार्य
79 वर्षीय निश्चलानन्द सरस्वती मूलरूप से बिहार के मधुबनी के रहने वाले हैं। वे ओडिशा स्थित गोवर्धन मठ पीठ के 145 वें जगद्गुरू शंकराचार्य हैं। निश्चलानन्द सरस्वती दो दिन के प्रवास पर जयपुर आए हुए हैं। वे मानसरोवर स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर के दीक्षा कार्यक्रम में मौजूद रहे। इस दौरान सैंकड़ों अनुयायिओं ने उनके दर्शन किए। कार्यक्रम में 60 से ज्यादा लोगों ने शंकराचार्य से दीक्षा प्राप्त की।
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