26 मई की बैठक में तय होगा कांग्रेस का भविष्य - कांग्रेस हाईकमान ऐसे निकाल सकता है गहलोत-पायलट विवाद का हल, पढ़ें एक्सक्लूसिव स्टोरी
जयपुर। 26 मई को दिल्ली में होने वाली कांग्रेस हाईकमान की बैठक को लेकर भारी उत्सुकता बनी हुई है। कांग्रेस सहित तमाम दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ राजस्थान के लोग यह जानने के इच्छुक हैं कि कांग्रेस आलाकमान अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे विवाद का अंत कैसे निकालेंगे। विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर लांछन लगा रहे हैं। ऐसे में राजस्थान में चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा। गहलोत और पायलट के बीच पिछले चार साल से चल रही खींचतान को मिटाने के लिए कई प्रयास हुए लेकिन सारे प्रयास फेल साबित हुए। चुनाव से पहले अब आखिरी प्रयास किए जा रहे हैं। दिल्ली में होने वाली हाईकमान की बैठक में राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा सहित गहलोत और पायलट को दिल्ली बुलाया गया है। राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस नेतृत्व पूरे प्रकरण को गहनता से समझकर आगे के नफा नुकसान को देखते हुए निर्णय लेंगे।
पायलट समर्थक विधायक मंत्री दे चुके हैं खुली चुनौती
सब जानते हैं कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। जुलाई 2020 में भी इसी उद्देश्य से 18 विधायकों के साथ पायलट मानेसर चले गए थे। सचिन पायलट इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि वे और उनके साथी राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन चाहते हैं। पायलट समर्थक विधायक पिछले तीन साल से चिल्ला चिल्ला कर मांग कर रहे हैं कि पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाए। कई बार कांग्रेस हाईकमान को चेतावनी भी दी। पायलट समर्थक विधायक और मंत्री खुले मंच से कह चुके हैं कि उनके सब्र टूटने वाला है। अगर पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो पार्टी खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहे।
पायलट को मनाने के लिए ये प्रयास होंगे महत्वपूर्ण
सचिन पायलट ने अब मुख्यमंत्री के पद की मांग छोड़ दी है। वे जानते हैं कि अब आगामी चुनाव में गिने चुने दिन बचे हैं। पहली बात यह भी है कि गहलोत को सीएम पद से हटाना अब नामुमकिन सा हो गया है। ऐसे में इस मांग की रट लगाए रखने में कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक पायलट समर्थक विधायकों की ओर से कुछ सुझाव पार्टी आलाकमान तक पहुंचाए हैं। इन सुझावों में संगठन के महत्वपूर्ण पद और आगामी चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की मांग की गई है। बताया जा रहा है कांग्रेस हाईकमान द्वारा गहलोत पायलट विवाद का हल निकालने के लिए सचिन पायलट को फिर से पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है। साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी पायलट को दी जा सकती है। आगामी चुनावों के टिकट वितरण को लेकर भी पायलट को अहम रोल दिए जाने की चर्चाएं हैं।
मंत्री मंडल विस्तार की चर्चाएं जोरों पर
गहलोत पायलट विवाद के बीच अब राजस्थान में मंत्री मंडल विस्तार की चर्चाएं भी जोरों पर है। कहा जा रहा है कि शीघ्र ही मंत्री मंडल में विस्तार होने जा रहा है। कुछ मंत्रियों को छुट्टी होने के साथ कुछ विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा। साथ ही कई मंत्रियों के विभाग भी बदले जा सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष भी नया बनाया जा सकता है क्योंकि डॉ. सीपी जोशी को डिप्टी सीएम बनाए जाने की चर्चाएं हैं। डॉ. सीपी जोशी ऐसे हैं जो खुलकर ना गहलोत के कट्टर समर्थक और ना ही पायलट के। ऐसे तटस्थ नेता को सरकार और संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। डॉ. जोशी को बड़ी जिम्मेदारी देने से गहलोत और पायलट दोनों गुट को शायद एतराज नहीं होगा।
कांग्रेस आलाकमान की कोशिश, बस मान जाए पायलट
कांग्रेस आलाकमान अशोक गहलोत और सचिन पायलट में से किसी को भी खोना नहीं चाहते। यही वजह से दोनों का विवाद चरम पर पहुंचने के बावजूद भी पार्टी हाईकमान में किसी पर कोई एक्शन नहीं लिया। बड़े नुकसान से बचने के लिए पार्टी गहलोत और पायलट दोनों को साथ रखना चाहती। अब ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं जिससे कि सचिन पायलट को मनाया जा सके। 26 मई को दिल्ली में होने वाली बैठक राजस्थान कांग्रेस के लिहाज से बहुत अहम है। भले ही फैसला सार्वजनिक करने में कुछ दिन लग जाएं लेकिन बैठक के बाद निर्णय तय हो जाएगा।
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